स्वराज इंडिया – हरियाणा
प्रेस विज्ञप्ति : 7 अगस्त 2019
* स्वराज इंडिया ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि “राम रहीम गुरमीत सिंह” हार्डकोर अपराधी की श्रेणी में आता है, जिसे पांच साल की सजा पूरी होने तक पैरोल नहीं मिल सकती।
* जेल अधीक्षक को मिलने वाले डेलिगेशन में स्वराज इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य परमजीत सिंह, सुरेंद्र पाल सिंह, रेणु, हरियाणा राज्य महासचिव दीपक लाम्बा व रोहतक से सन्तोष मौदगिल शामिल रहे।
* मीडिया से रूबरू होकर डेलिगेशन के सदस्यों ने कहा कि अगर जेल अधीक्षक ने इस हार्ड कोर अपराधी को पैरोल दी या देने की सिफ़ारिश की तो स्वराज इंडिया इसे कोर्ट में चुनौती देगी।
* डेरा मुखी पैरोल लेने के लिए तरह तरह के रास्ते निकाल रहे । परिस्थितियां जाहिर करती हैं कि सरकार के साथ मिलकर किसी न किसी तरह बाहर आने का प्रयास हो रहा है।
पहले खेती के नाम पर पैरोल की दरखास्त लगाई थी अब इस हार्डकोर अपराधी” ने अपनी पत्नी से दरखास्त लगवा कर कैदी की माता की बीमारी के आधार पर पैरोल मांगी है। दरखास्त में कहा है कि कैदी की माँ बीमार हैं व बेटे (डेरा मुखी) की हाजरी में इलाज करवाना चाहती हैं । हाईकोर्ट ने मामला जेल अधीक्षक के पास भेज कर फैसला करने के लिए कहा है।
स्वराज इंडिया डेरा मुखी की अस्वस्थ माता जी के जल्द स्वास्थ्य होने की शुभेच्छा व्यक्त करता है।
स्वराज इंडिया, हरियाणा ने अपने ज्ञापन में कानूनी प्रावधान का हवाला देते हुए स्पष्ट किया यह कैदी निम्न आधार पर पैरोल का हकदार नहीं है :
The Haryana Good Conduct Prisoners (Temporary Release) Act, 1988 की धारा 3 (1) कहती है कि राज्य सरकार अधिकृत अफसर की सलाह से किसी अपराधी को पैरोल पर छोड़ सकती यही यदि कैदी के घर में किसी की मृत्यु हो गई हो, कोई गंभीर रूप से बीमार हो या वह खुद बीमार हो।
मगर The Haryana Good Conduct Prisoners (Temporary Release) Act, 1988 की धारा 2 में उप धारा (aa) जोड़ कर “हार्डकोर” अपराधी की परिभाषा दी गई। उपधारा (aa) (ii) के अनुसार हार्डकोर अपराधी का अर्थ है कि जिसे लगातार के पांच साल के बीच दो या अधिक केसों में अपराधी घोषित किया गया हो व सजा हुई हो।
31 मार्च 2014 को The Haryana Good Conduct Prisoners (Temporary Release) Act, 1988 में संशोधन कर धारा 5 A जोड़ दी गई। जिसकी उपधारा (1) अनुसार धारा 3 में जो भी लिखा गया हो हार्डकोर अपराधी को पैरोल नहीं मिल सकता। मगर उपधारा (2) यह छूट देती है कि यदि 5 साल की सजा पूरी कर ली हो तो ही पैरोल मिल सकती है, अगर उस हार्डकोर अपराधी को यदि मृत्यु दंड नहीं मिला हो ।
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जारी कर्ता
ऋषव/9534251489
मीडिया सेल